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इकट्ठा हो रही हैं मन में बीते साल की बातें ज़रा मीठी, ज़रा तीखी वो बीते साल की यादें हुआ करती थीं कुछ मेरी भी सहेलियाँ मशहूर थीं ...
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रुक से गए हो क्यों वजह थी क्या जिसने रोका अभी तक ढूंढ रहे हो क्यों बना लो खुद ही एक मौका अज़ीज़ बोलें मिलेंगे कल तो उनकी राह न...
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A NIGHTMARE IN THE AFTERNOON 20th December 2016; It was a winter afternoon when I came back to my home (which lies near to the main...
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