रुक से गए हो क्यों
वजह थी क्या जिसने रोका
अभी तक ढूंढ रहे हो क्यों
बना लो खुद ही एक मौका
अज़ीज़ बोलें मिलेंगे कल
तो उनकी राह नहीं तकना
करना ना वक्त तुम ज़ाया
खुद उनकी ओर तुम बढ़ना
बढ़ें गर वो भी तुम्हारी ओर
तो फासले जल्द कम होंगे
मिलोगे जल्द तुम दोनों
वो तुम्हारे रू-ब-रू होंगे
थको गर तेज़ चलने से
तो धीरे-धीरे तुम चलना
धीरे चलने से नहीं मुसाफ़िर
तुम रुकने से मगर डरना
चल पड़ोगे जब सफ़र पर
तो धूप, धूल-मिट्टी भी सताएँगी
पर तुम्हें नहलाने के लिए
फ़िर बारिशें भी आएँगी
मिल लोगे तुम अज़ीज़ से
एक वक्त ऐसा वो आएगा
तुम्हारे मिलन की दास्ताँ से
माज़ी में पन्ना एक जुड़ जाएगा
Ek number😘💯
ReplyDeleteThank you. Keep supporting
Deleteᴋʜᴀᴛʀɴᴀᴀᴋ😊
ReplyDeleteKeep Supporting :)
ReplyDelete